http://bikhareakshar.blogspot.com/
- 12 Posts
- 3 Comments
गिर कर चलूँ या उठ के चलूँ
मुझे तो बस चलना है
दिन हो या रात हो मुझे क्या
मुझे तो बस निकलना है
सोचना तुम्हें है मेरे गुजरने के बाद
बनना है तो तुम्हें क्या बनना है
याद छोडनी है आपनी या
याद अपनी ले के चलना है
मुझे तो चलना है, मुझे तो चलना है …………रचना -राजेन्द्र सिंह कुँवर ‘फरियादी’
नोट : ये प्रस्थिति आज हमारे सामने उपस्थित हो चुकी है और हमें समय ये संकेत भी दे रहा है कि खुद को समझ लो और समय के साथ चलो
Read Comments