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बिखर गया सब प्यार मेरा,
बचपन का समेटा इन बाँहों में
कहाँ मै खोजूं उन तस्बीरों को,
बिरानी इन राहों में
बिखर गया सब प्यार मेरा,
बचपन का समेटा इन बाँहों में
पुरवाई ले गयी उस आंचल को,
घटा ने पानी बरसाया
सूरज ने दी तपति मुझको,
पतझड़ पेडो ने दिखलाया
बना हैं कैसे पल में मौसम,
बिरानी इन राहों में
बिखर गया सब प्यार मेरा,
बचपन का समेटा इन बाँहों में
भोरें आ कर उड़ भी गये,
फूल लगे सब मुरझाने
कहाँ मै खोजू किसे पुकारूँ,
बिरानी इन राहों में
बिखर गया सब प्यार मेरा,
बचपन का समेटा इन बाँहों में
कहाँ मै खोजूं उन तस्बीरों को,
बिरानी इन राहों में
बिखर गया सब प्यार मेरा,
बचपन का समेटा इन बाँहों में
चाँद लगा है मुझ पर हंसने,
तारे भी हैं देते ताने
क्या मैंने सोचा था तब,
क्या चला हूँ आज निभाने
बिखर गया सब प्यार मेरा,
बचपन का समेटा इन बाँहों में
कहाँ मै खोजूं उन तस्बीरों को,
बिरानी इन राहों में………….. रचना-राजेन्द्र सिंह कुँवर ‘फरियादी’
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